आज के सुविचार मे आपको बताएगे कि जीवन मे आने वाली समस्याओं का मुकाबला कैसे करे। जीवन की कठिनाइयों से निपटने की रणनीतियॉं।
सुख, दुख तो सबके जीवन में आते ही रहते हैं। वेदों में भी लिखा है ओर ऋषियों ने भी इस बात को बार-बार समझाया है कि जिस व्यक्ति ने भी संसार में जन्म ले लिया। उसे जीवन में दुख तो भोगना ही पड़ेगा। ऐसा कोई व्यक्ति संसार में आज तक पैदा ही नहीं हुआ जिसने अपने जीवन मे दुख ना भोगा हो। इस धरती पर जिसने जन्म ले लिया हो अर्थात शरीर धारण कर लिया हो और वह दुख से बच गया हो ऐसा हो ही नही सकता। क्योंकि जन्म लेना ही दुख का कारण है। जन्म लेना अर्थात शरीर धारण करना।
यह शरीर प्रकृति से बना है। और प्रकृति में तीन प्रकार के परमाणु हैं। सत्त्वगुण रजोगुण और तमोगुण। इन तीनों का अपना अलग अलग स्वभाव है। सत्त्वगुण सुख देता है। रजोगुण दुख देता है। और तमोगुण मूर्ख बनाता है। इन तीनों से मिलकर ही यह शरीर बना है। इसलिए जो भी आत्मा इस शरीर के संपर्क में आएगा। उसे दुख तो भोगना ही पड़ेगा।
इस स्थूल शरीर के साथ साथ आत्मा को ईश्वर ने एक सूक्ष्म शरीर भी दिया है। जिसमें मन बुद्धि इंद्रियां आदि 18 पदार्थ हैं। यह सूक्ष्म शरीर भी ईश्वर ने प्रकृति से बनाया है। इसलिए इसमें भी वही तीन प्रकार के परमाणु हैं। सत्त्वगुण रजोगुण और तमोगुण। जब आत्मा इन दोनों शरीरों के संपर्क में आ जाता है।अर्थात जन्म ले लेता है तब उसे इन तीनों परमाणुओं का प्रभाव सुख दुख और मोह (मूर्खता) के रूप में भोगना ही पड़ता है।
तो सारी बात का सार यह हुआ कि यदि आपने जन्म लिया है। तो आप के जीवन में सुख भी आएगा दुख भी आएगा और मूर्खता भी आएगी। अर्थात सुख दुख नींद नशा आलस्य मूढ़ता आदि सब कुछ आएगा। क्योंकि आपने इस धरती पर जन्म लेकर शरीर तो धारण कर ही लिया है। इसलिए ये सुख-दुख और मूर्खता आदि तो जीवन में आते ही रहेंगे। इससे कभी मत घबराना बल्कि इसका मुकाबला करना सिखों।
अतः जो भी दुख एवं मूर्खता जीवन में आए तो उससे लड़ने को हमेशा तैयार रहें। यह तो आपके अन्दर की लड़ाई है जिससे लड़े और जीतें। उससे सामना करे ओर अपने विवेक ओर सोच से जीत हासिल की जा सकती है। इसी मे बुद्धिमत्ता और बहादुरी है।
परंतु बाहर जब आप लोगों से व्यवहार करते हैं तब अपने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट तो सदा बनाए ही रखें। प्रसन्नता तो बनाए ही रखें। ताकि आपकी उदासी और दुखों के कारण दूसरों पर गलत प्रभाव न पड़े।
आप अपने अंदर अपने दुखों से लड़ने और उन्हें दूर करने के लिए उनका समाधान ढूंढें। आज तक ऐसी कोई समस्या नही है जिसका कोई हल नही है। बड़ी से बड़ी समस्याओं को अपनी सोच एवं बुद्धिमता और बहादुरी से हल किया जा सकता हैै। इसमें कोई दोराह नहीं है। परंतु दूसरों के सामने जरूर प्रसन्नता प्रस्तुत करें। इससे आपके अंदर जो दुख हैं। वे दुख छिपे रहेंगे। और किसी प्रकार का भय इत्यादि होगा, तो वह भी छुपा रहेगा। और आपके चेहरे की प्रसन्नता केवल नाटक ही न हो बल्कि वास्तविकता भी होनी चाहिए। इसका उपाय यह है कि ईश्वर को साक्षी मानकर सब अच्छे काम करें। इससे आपको ईश्वर प्रसन्नता सुख शांति आनंद देगा और यही सुख शांति आनंद आपके चेहरे पर मुस्कराहट के रूप में प्रकट होने चाहिएं तभी आपका जीवन सफल होगा।
अन्यथा आपके उदास और दुखी चेहरे को देख कर दूसरे लोग भी परेशान होंगे उनका भी दुख बढ़ेगा। और आपको इसका दंड भी भोगना पड़ेगा। इसलिए दंड से बचने के लिए और अपने आपको प्रसन्न रखने एवं पुण्य कमाने के लिए अपने चेहरे पर मुस्कुराहट तो सदा रहनी ही चाहिए। तभी तो जीवन मे आने वाली समस्याओं से कडा मुकाबला हो सकेगा।
सदैव खुश रहे मस्त रहे।
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