जीवन का सबसे पहला सुख निरोगी काया है। स्वस्थ तन, स्वस्थ मन।अच्छा स्वास्थ्य ही सफल जीवन का आधार है।हमें हमेशा अपने मन को प्रसन्ना रखना चाहिए। मन की प्रसन्नाता आपकी कितनी ही बीमारियों को दूर कर देती हैं।सुबह की उन्मुक्त हंसी हमारे पूरे दिन को सुंदर, स्वस्थ और सफल बना देती है। ताजगी से भरे दिन में मन जो भी करता है। बेहतर करता है। अच्छा स्वस्थ पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। इसका एक मात्र उपाय अपने अंदर प्रसन्नातादायक विचारों के भावों को जगाना है।
हम प्राकृतिक एंव आयुर्वेदिक जीवन शैली अपनाकर बेहतर स्वास्थ्य पा सकते है। एक बात की गांठ बांध लें कि आपको बीमार होने पर, डॉक्टर दवाई तो दे देगा पर स्वस्थ कैसे रहें, ये बिल्कुल नही बताएगा। आज हम आपको आजीवन स्वस्थ्य रहने के बारे मे बताएगे। क्या आप भी आजीवन निरोगी काया और जीवन चाहते हैं? तो प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक जीवन शैली को अपनायें... सोंचे समझे ओरअमल करें।
आओं जाने जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाने के उपाय।
➤ नब्बे प्रतिशत रोग केवल पेट से होते है। पेट के रोग कब्ज से उत्पन्न होते है। इसलिए कभी भी कब्ज नही रहना चाहिए। अन्यथा जिंदगी मे रोगों की भरमार ही बनी रहेगी।
➤ मांसाहार सेवन से करीबन 160 प्रकार के रोग उत्पन्न होते है।
➤ 103 तरह के रोग भोजन करने के तुरन्त बाद पानी पीने से होते है। हमेशा भोजन करने के करीब 1 घन्टे बाद पानी पीना चाहिऐ।
➤ चाय पीने से लगभग 80 प्रकार रोग होते है।
➤ ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर मे बने भोजन सेवन करने से करीबन 48 प्रकार के रोग उत्पन्न होते है।
➤ शराब, कोल्डड्रिंक से हृदय रोग होने का खतरा बना रहता है।
➤ अण्डा खाने से ह्रदयरोग पथरी और गुर्दे खराब होने का खतरा रहता है।
➤ ठंडे जल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती हैे।
➤ मैगी, गुटका, शराब, सूअर का मॉंस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
➤भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
➤बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
➤दूध (चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
➤शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते है।
➤गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती है।
➤टाई बांधने से आँखों और मस्तिष्क हो हानि पहुँचती है।
➤खड़े होकर जल पीने से घुटनों (जोड़ों) में पीड़ा होती है।
➤खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
➤भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
➤जोर लगाकर छींकने से कानो को क्षति पहुँचती है।
➤मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
➤पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते है और क्षय (टीबी) होने का डर रहता है।
➤चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है, मलेरिया नहीं होता है।
➤तुलसी के सेवन से मलेरिया नही होता है।
➤मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
➤अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगो के लिए सर्वोउत्तम है।
➤हृदयरोगी के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी,सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औषधियां हैं।
➤भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नही होता है।
➤अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
➤मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
➤जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं इत्यादि का ) पानी पीना चाहिये। बोतलबंद (फ्रिज) का बासी पानी का उपयोग ना करे। क्योकि ये पानी अनेक रोगो के होने की दावत देते है।
➤नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
➤चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहू मोटा ही पिसवाना चाहिए।
➤फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नही पीना चाहिए।
➤भोजन पकाने के 48 मिनट के अन्दर सेवन कर लेना चाहिए। उसके पश्चात् उसकी पोषकता कम होने लगती है। जो लगातार घटती रहती है। जो 12 घण्टे के बाद पशुओं के खिलाने लायक भी नही रहता है।
➤मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोषकता 100%, कांसे के बर्तन में 97%, पीतल के बर्तन मे 93%, अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
➤गेहूँ का आटा 15 दिनो से पुराना तथा चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनो से अधिक पुराना प्रयोग मे नही करना चाहिए।
➤14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, ब्रेड, समोसा आदि) कभी भी नहीं खिलाना चाहिए।
➤खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
➤जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी मे से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है। और फफोले नही पड़ते है।
➤सरसों, तिल, मूंगफली, सुरजमुखी या नारियल की कच्ची घानी का तेल और देशी घी का ही सेवन करना चाहिए। रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है। इसके उपयोग से बचे तो ही अच्छा है।
➤पैर के अंगूठे के नाखूनो को सरसों के तेल मे भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
➤खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
➤चोट सूजन दर्द घाव फोड़ा इत्यादि होने पर उसके उपर पॉच से बीस मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक हो जाते है। हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय मे ठीक हो जाती है।
➤मीठे मे मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी एक तरह का जहर होता है।
➤कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
➤बर्तन मिटटी के ही प्रयोग करने चाहिए।
➤टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।(आँखों के रोग में दातून नहीं करना चाहिए)
➤कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
➤यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़ें और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है।
➤स्वास्थ्य ओर तरो ताजा रहने के लिए अच्छी नींद के साथ साथ अच्छा (ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
➤देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक प्रकार से नही हो पाता है। ऑंखों के रोग भी हो जाते है।
➤प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा के समान और रात्रि का भोजन भिखारी के समान होना चाहिये। अर्थात सुबह के समय खूब पेट भर कर खाना चाहिए, दोपहर को उससे कम खाना चाहिए और शाम को सबसे कम खाना चाहिए। रात्रि का तो कोई भोजन ही नही होता।
➤रात्रि जल्दी सोना चाहिए, सुबह सूर्य उदय से पहले अवश्य उठ जाना चाहिए। सूर्योदय की लालिमा के दर्शन करने से असंख्य रोग शरीर के पास नहीं आते।
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